“हिंदी है हमारी पहचान, हिंदी से बढ़ेगा देश का मान।”
इसी भाव को आत्मसात करते हुए, सेठ एम. आर. जयपुरिया विद्यालय में हिंदी दिवस का आयोजन प्रातःकालीन सभा के दौरान, सभा क्षेत्र में बड़े हर्षोल्लास से किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी प्रार्थना और हिंदी भजनों से हुई। ‘Thought of the Day’ भी हिंदी में प्रस्तुत किया गया, जिससे वातावरण पूर्णतः भाषाई और सांस्कृतिक रंगों से भर गया।
विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती जया पंड्या ने बच्चों को संबोधित करते हुए एक रोचक खेल खेला, जिसमें अंग्रेज़ी शब्दों के हिंदी पर्याय बताए गए। इस खेल के माध्यम से उन्होंने बच्चों को यह संदेश दिया कि हिंदी हमारी आत्मा की भाषा है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है। उन्होंने बताया कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया था। उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे अन्य भाषाओं का सम्मान करें, किंतु हिंदी से भी गहरा प्रेम करें और प्रतिदिन एक नया हिंदी शब्द सीखने का संकल्प लें।
इसके बाद विद्यार्थियों ने एक सजीव और रोचक नाट्य प्रस्तुति “वन्दे मातरम, अक्षरनाद” प्रस्तुत की। नाटक में शंकर जी के डमरू से हिंदी के स्वरों की उत्पत्ति को दर्शाया गया। स्वरों के जन्म के पश्चात पाणिनी उन्हें व्यवस्थित करते हैं और व्यंजनों के साथ मिलाकर भाषा के विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं। प्रत्येक स्वर ने अपने-अपने महत्व को स्वयं व्यक्त किया और अंत में सभी कलाकारों ने स्वरों की उत्पत्ति का उत्सव गीत के माध्यम से मनाया। इस नाट्य प्रस्तुति ने भाषा में अक्षरों की भूमिका और महत्व को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से उजागर किया।
कार्यक्रम का समापन मंगलमय श्लोकों के उच्चारण से हुआ और अंत में राष्ट्रीय गान के साथ हिंदी दिवस का यह समारोह अपनी गरिमामयी पूर्णता को प्राप्त हुआ।
यह दिन बच्चों के लिए केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हिंदी भाषा के प्रति प्रेम, गर्व और जिम्मेदारी का भाव जगाने वाला एक अनुभव बन गया।